Wednesday, May 6, 2020

हमारा कोरोना ग्रसित गृह प्रवेश कुछ यूं हुआ है।

बामशक्कत तो अपने आशियाने पहुंचे हैं,
बस घर पहुंच गए यह सोच मन रख लिया है।
पर लगा जैसे प्यार दुलार सब कोरोना ने डस लिया है,
और हमारा कोरोना ग्रसित गृह प्रवेश कुछ यूं हुआ है।

सीधे पहुंचे अस्पताल, तो थमा दी पर्ची,
कह घर से नहीं निकलना, ना ही किसी से मिलना।
और होम क्वारेंटाइन कर दिया है,
हमारा कोरोना ग्रसित गृह प्रवेश कुछ यूं हुआ है।

घर की दहलीज में कदम रखते ही हमारी अम्मा दौड़ आईं,
और सैनिटाइजर की बोतल उड़ेल सारा सामान गीला कर दिया है।
कहती है छूना मत पहले नहा ले, गुसलखाने में तौलिया रख दिया है,
हमारा कोरोना ग्रसित गृह प्रवेश कुछ यूं हुआ है।

फिर भी बोले मां आओ गले मिल लें,
कहा झट से नहीं, दूर बेटा, और सुरक्षा कवच मुंह में लपेट लिया है,
हमारा कोरोना ग्रसित गृह प्रवेश कुछ यूं हुआ है।

इतने में बाबा आए ,जो पहले आकर गले मिला करते थे,
दूर से ही हाथ जोड़ हमारा हाल-चाल पूछ लिया है।
और कहा सामान ऊपर रख दे, वहां एक कमरा खाली कर दिया है,
हमारा कोरोना ग्रसित गृह प्रवेश कुछ यूं हुआ है।

यह सब देख हम अचंभित तो बिल्कुल नहीं थे,
पर 14 दिनों का सोच घबरा गए,
पर याद आया भगवान राम ने तो 14 वर्षों का वनवास किया है।
और यूं सफाई दिखा हमारे अपनों ने
सोशल डिस्टेंस का सबब दिया है,
हमारा कोरोना ग्रसित गृह प्रवेश कुछ यूं हुआ है।

पर बता दें, यह जो आज घर पहुंच पाए हैं,
सब अम्मा का ही किया धरा है।
इतने सालों से तो घर आ रहे थे छुट्टियां मनाने,
पर आज घर वापसी का असली मायना समझ लिया है।
बस यही है हमारे कोरोना ग्रसित ग्रह प्रवेश का किस्सा,
जो हमारे प्रियजनों ने कुछ यूं किया है।
हमारा कोरोना ग्रसित गृह प्रवेश कुछ यूं हुआ है।