Wednesday, April 3, 2024

कहाँ गई देश की शान

मेरा भारत महान, जय जवान जय किसान

सोने की चिडिया था यह देश
एकता की मूरत है, अनेक हों चाहे रंग, रूप, भाषा और भेष
वो समय था जब कहते थे हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
सब मिलकर है भाई-भाई, और अब बन बैठे हैं बस कसाई
जहाँ देखो बस कुर्सी की है दौड़, दिखते बस दंगे बेजोड़
दिखाकर बस दो दिन की राष्ट्रभक्ति, गाकर राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान, कहाँ गई देश की शान? 

याद करो गाँधी की मेहनत, याद करो नेहरू की मेहनत
क्या याद नहीं वीरों का बलिदान, कहाँ गई देश की शान? 
क्या बस बंद रखना है किताबों में इनका सम्मान
कहाँ गई देश की शान? 

यह वही देश है जहाँ पूजी जाती है दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती माता
जहाँ है लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं की गाथा
अब देख हृदय पीड़ा ग्रसित हो जाता है, 
कि रो रही कन्या, स्त्री के, बख्श दो भगवान के नाम 
क्या बस यही है देश के नाम
कहां गई देश की शान? 

युवाओं को बस कह दो सोशल मीडिया चलाने श, 
बस कह दो रास्तों में गाड़ी दोड़ाने 
कौन इन्हें बतलायेगा की इस देश की स्वतंत्रता की खातिर वीर भगत सिंह चला गया, फिरंगियों का अहम जला गया । 
तो भैया जब युवा देश के लिए सही कदम उठाएगा, तभी तो भारत‌‌‌ को ढडने से बचाएगा।
तो अपने आत्म मंथन से जगा लो अपना ज्ञान, नहीं तो बस कहते रहेंगे कहां गई देश की शान? 

पड़ोसियों ने तो वैसे ही कोई कसर नहीं छोड़ी है, बस हमारे वतन की कमर ही मरोड़ी है। 
पर सुना तो होगा कि अपने ही अपनों को धोखा देते हैं 
हम इन दुश्मनों की जरूरत महसूस ही कहां होने देते हैं।लो, आज की बात कह दूं जहां इंसान इंसान को कानून के नाम पर मार रहा, जहां दुधमुंहा बच्चा बस माँ को निहार रहा।                                                                

कहते हैं नागरिक के लिए होता नेता है, फिर क्यों दिल्ली में छाया रोता है ?                                                         और करते हैं देश भक्ति का गुणगान, कहां गई देश की शान? 

चलो एक बीड़ा उठाते हैं, शिक्षा को उन्नति का आधार बनाते हैं 
फिर मिलकर बनाएंगे सर्वगुण हिंदुस्तान, कोई कह नहीं सकेगा, कहां गई देश की शान? 
क्योंकि भारत देश था महान, है महान और रहेगा महान।
कहती हूं मेरा भारत महान, जय जवान जय किसान।