मां, इस चारदीवारी में ही, तेरा प्यार सहेज रही हूंl
तुझ तक ना पहुंच पाने की, कोरोना के दौर में तेरा प्यार ना पाने की, एक पीड़ा अमूमन झेल रही हूं,
मां, मैं इस चारदीवारी में ही तेरा प्यार सहेज रही हूं..
इस दुश्मन ने तो अपनों को अपनों से ही जुदा किया है, और बता दिया कि प्यार के पल, कैसे हमने गंवा दिया है.
तेरी फिकर भरी आवाज सुन मन भर आता है,
तू ठीक है ना, सुनने बस जी चाहता है
हर लम्हा तेरे प्यार का इन आंखों में कुरेद रही हूं,
मां, इस चारदीवारी में ही, तेरा प्यार सहेज रही रही हूं..
हर शनिवार कहती है बेटा घर आ जाना और चावल, आटा, दाल, पापड़ सब घर से ही ले जाना,
क्या मैं नहीं समझती कि यह बस घर बुलाने का एक बहाना है,
असल कारण तो बस तेरा प्यार लुटाना है.
और सोच रही कि तेरा दामन पा सकती,
सोच रही कि काश मैं तेरी झलक देखने आ सकती,
सोच यह समय जल्दी बीत जाए, मन ही मन इसको कर मैं तेज रही हूं,
मां, इस चारदीवारी में ही, तेरा प्यार सहेज रही हूं..
यह केवल एक खाली कमरा है, जहां मैं समय बिता रही,
रसोई में जाकर, पकवान बनाकर, यूं ही खुद को सर्वगुण बेटी बना रही,
फिर भी तेरे हाथ का खाना खाने में लल्हा रही,
कमरे तो मैं सजा रही, कपड़े भी मैं बना रही,
और बेवजह, कुछ पुराने हुनर यूं जगा रही।
इस तरह, तेरी कमी को, महसूस कर मैं रोज रही हूं,
मां, इस चारदीवारी में ही, तेरा प्यार सहेज रही हूं..
मन करता है तेरे आंचल में छुप जाऊं,
इस चलने के दौर में, कुछ पल को यूं रुक जाऊं
कुछ अपना कह लूं, कुछ तेरा सुन लूं,
तेरी मीठी डाट खाकर, खुद को सुकून दे पाऊं
बस तेरे लिए उमड़ रहे इस प्यार से, भर कुछ पेज रही हूं,
मां, इस चारदीवारी में ही, तेरा प्यार सहेज रही हूं..
और ऐसे मन की पाती में ही, अपना प्यार भेज रही हूं
मां, इस चारदीवारी में ही, तेरा प्यार सहेज रही हूं
मां, इस चारदीवारी में ही, तेरा प्यार सहेज रही हूं।
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